#SolidarityInSacrifice
उपवास कालीन आराधना: पहला सप्ताह
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“हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते। सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।”
2 कुरिन्थियों 4:8-9
दुनिया भर में, अनगिनत ईसाई अपने विश्वास के लिए कई तरह कि कठिनाइयों -हमले, कारावास और यहां तक कि मौत का सामना कर रहे हैं। अकेले भारत में, यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने 2023 में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा और विरोध की 700 से अधिक घटनाओं की सूचना दी। हम आशा करते हैं कि हम में से अधिकांश कभी भी ऐसी चुनौतियों का अनुभव नहीं किये होगें जैसे कई साथी ईसाइयों को अपने विश्वासों के लिए अनेक क्लेशों का सामना करना पड़ा है। उत्तर प्रदेश की एक 30 वर्षीय महिला, दिव्या (बदला हुआ नाम) ने खुद ऐसी चुनौतियों का सामना किया है।
18 दिसंबर, 2022 को स्थानीय पुलिस ने दिव्या को एक प्रार्थना सभा के दौरान गिरफ्तार किया, जो एक पड़ोसी की झूठी शिकायत के कारण हुई, जिसने संगति को धर्मान्तरण की एक घटना बताया था। गांव के कुछ ईसाइयो में से एक होने के कारण, दिव्या के परिवार को उनके परमेश्वर पर विश्वास के कारण, गांव वालो के लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। दिव्या याद करती है कि ,उसने 250/-($3 अमरीकी डालर) रुपियो का ऋण लेकर एक बाइबल प्राप्त की थी ,और दो सप्ताह के वेतन की बचत के बाद पैसों का भुगतान किया। चौंका देने वाली बात यह है कि इस पड़ोसी ने पुरे मार्यदा लाँघते हुवे, यहाँ तक कि प्रिय बाइबल को भी नष्ट कर दिया।
गिरफ्तारी के दिन दिव्या को थाने में लगभग छह घंटे तक हिरासत में रखा गया था। ए. डी. एफ. इंडिया के सहयोगी वकीलों के शीघ्र हस्तक्षेप के कारण उसी दिन उन्हें रिहा कर दिया गया। दिव्या को उत्तर प्रदेश धर्मांतरण परिवर्तन अधिनियम के तहत कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ए. डी. एफ. इंडिया के वकीलों ने न्याय प्राप्त करने के उद्देश्य से उनके खिलाफ आरोपों को खारिज करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। एक साल के लंबे संघर्ष के बाद, अदालत ने 3 नवंबर, 2023 को एक आशापूर्ण आदेश जारी किया, जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य को उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया गया। इस चुनौतीपूर्ण सफर के दौरान, दिव्य का विश्वास अडिग रही, परमेश्वर के वादों पर भरोसा करते हुए। आज, वह आत्मविश्वास से कहती है कि वह उन लोगों से डरती नहीं है जो उसके विश्वास के लिए उसे
निशाना बनाते हैं और जब तक वह जीवित है तब तक परमेश्वर की सेवा जारी रखने की शपथ ली है।
1. विपरीत परिस्थितियों में दिव्या द्वारा प्रस्तुत किये गये साहस पर विचार करें। हम अपने विश्वास में दृढ़ रहने के सामर्थ्य उसके उदाहरण से कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
2. दिव्या जैसे व्यक्तियों पर झूठे आरोपों और गलत सूचनाओं के प्रभाव पर विचार करें। हम अपने क्षेत्रों में झूठ का मुकाबला कैसे कर सकते हैं और सच्चाई को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं?
हे परमेश्वर, आप असहाय और अपने विश्वास के कारण कैद किए गए लोगों के करीब हैं। उनकी ताकत और साहस के लिए धन्यवाद। आपकी उपस्थिति उन्हें मजबूत करे और उन्हें अटूट साहस प्रदान करे। ए. डी. एफ. इंडिया के सहयोगी वकीलों के प्रयासों को आशीष दें क्योंकि वे न्याय पाने के लिए ईमानदारी से काम कर हैं। आमीन।
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